परमवीर चक्र विजेता संजय और बतरा के भाई द्रास में मनाएंगे विजय दिवस

परमवीर चक्र विजेता संजय और बतरा के भाई द्रास में मनाएंगे विजय दिवस

बिलासपुर/पालमपुर
हिमाचल प्रदेश के परमवीर चक्र विजेता संजय कुमार और पालमपुर के शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के भाई विशाल बतरा कारगिल के द्रास सेक्टर में सोमवार को कारगिल विजय दिवस मनाएंगे। कारगिल के युद्ध में तत्कालीन राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे, जिसके बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था। वर्तमान में सूबेदार संजय कुमार देहरादून में तैनात हैं। वहीं परमवीर चक्र विक्रम बतरा ने भी बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर उनके कब्जे से कारगिल की एक चोटी मुक्त करवाई थी। इस दौरान उन्होंने शहादत का जाम पिया था। 

सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि अपनी कर्म भूमि और युद्ध भूमि पर ही 2021 में कारगिल विजय दिवस मनाएंगे। इसी धरती से वह उन साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, जिन्होंने देश की आन, बान और शान के लिए प्राणों की आहुति दे दी। इसके लिए वह रविवार को ही द्रास पहुंच गए हैं। वहीं सोमवार को विजय दिवस मनाएंगे। जिसके बाद वह अपनी कर्मभूमि देहरादून वापस आएंगे। सूबेदार संजय कुमार ने कारगिल युद्ध में एरिया फ्लैट टॉप पर कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें 1999 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। संजय कुमार का जन्म 3 मार्च 1976 को  बिलासपुर जिले के झंडूता उपमंडल के कलोल गांव में हुआ है। संजय कुमार बताते हैं कि वह चार और पांच जुलाई को कारगिल में मस्को वैली प्वाइंट 5875 पर फ्लैट टॉप पर 11 साथियों के साथ तैनात थे। यहां दुश्मन उन पर पहाड़ी से हमला कर रहा था। इस टीम में 11 साथियों में से दो शहीद हो चुके थे।

आठ गंभीर घायल थे। वह भी अपनी राइफल के साथ दुश्मनों का कड़ा मुकाबला कर रहे थे। एक समय ऐसा आया कि उनकी राइफल में गोलियां खत्म हो गई। इस बीच उनको भी तीन गोलियां लगी। घायल होने के बाद भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संजय ने आमने-सामने की मुठभेड़ में तीन दुश्मन सैनिकों को मार गिराया और उसी जोश में गोलाबारी करते हुए दूसरे ठिकाने की ओर बढ़े। वह खुद भी लहूलुहान हो गए थे। अचानक हुए हमले से दुश्मन बौखला कर भाग खड़ा हुआ और इस भगदड़ में दुश्मन अपनी यूनिवर्सल मशीनगन छोड़ गए। उन्होंने वह गन भी हथियाई और उसी सेे दुश्मन का सफाया शुरू कर दिया।

संजय बताते हैं कि उनकी इस हिम्मत को देखकर टुकड़ी के दूसरे जवान उत्साहित हुए और उन्होंने दुश्मन के दूसरे ठिकानों पर धावा बोल दिया। जख्मी होने के बावजूद संजय कुमार तब तक दुश्मन से जूझते रहे, जब तक कि प्वाइंट फ्लैट टॉप पाकिस्तानियों से खाली नहीं हो गया। इसके बाद प्लाटून की कुमुक सहायतार्थ वहां पहुंची और उन्हें तत्काल सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया।  उसके बाद उन्हें 1999 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। युवा सेना में जाकर उनके पदचिह्नों पर चलकर देश सेवा करने का जज्बा रखते हैं।

कारगिल में हिमाचल के 52 जवानों ने पाई थी शहादत 
25 मई से 26 जुलाई, 1999 तक हुए भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध में हिमाचल प्रदेश के 52 जवानों ने शहादत पाई थी। इनमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर-बिलासपुर के 7-7, शिमला से 4, ऊना-सोलन और सिरमौर से 2-2, जबकि चंबा-कुल्लू जिले से 1-1 जवान शहीद हुआ था। सूबे के जवानों को दो परमवीर चक्र, पांच वीर चक्र, नौ सेना मेडल, एक युद्ध सेना मेडल, दो उत्तम युद्ध सेना मेडल से नवाजा गया।

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